-न्यूज़ मिरर ब्यूरो
मोहाली, 21 अगस्त: ” डायबिटीज किडनी की बीमारी एक जटिलता है जो डायबिटीज वाले कुछ लोगों में होती है। इस स्थिति में किडनी के फिल्टर क्षतिग्रस्त हो जाते हैं। इस वजह से किडनी खून में से असामान्य मात्रा में मूत्र के रास्ते प्रोटीन का ‘रिसाव’ करती है। क्षतिग्रस्त किडनी से निकलने वाला मुख्य प्रोटीन एल्ब्यूमिन कहलाता है।”
डॉ राका कौशल, डायरेक्टर ऑफ नेफ्रोलॉजी एंड रीनल ट्रांसप्लांट फिजिशियन, आइवी हॉस्पिटल, मोहाली ने आज एक सीएमई के दौरान ‘डायबिटिक किडनी डिजीज’ के बारे में बात करते हुए कहा कि सामान्य स्वस्थ किडनी में यूरिन में एल्ब्यूमिन की थोड़ी मात्रा ही पाई जाती है। मूत्र में एल्ब्यूमिन का बढ़ा हुआ स्तर पहला संकेत है कि डायबिटीज से किडनी क्षतिग्रस्त हो गई हैं।
उन्होंने आगे कहा कि हालांकि टाइप 1 डायबिटीज वाले लोगों में डायबिटिक किडनी की बीमारी अधिक आम है, लेकिन टाइप 2 डायबिटीज और डायबिटिक किडनी डिजीज वाले लोग अधिक हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि टाइप 2 डायबिटीज टाइप 1 डायबिटीज की तुलना में बहुत अधिक आम है।डायबिटिक किडनी डिजीज वास्तव में किडनी की विफलता का सबसे आम कारण है। डॉ राका ने कहा कि डायलिसिस की जरूरत वाले पांच में से एक व्यक्ति को डायबिटिक किडनी डिजीज की बीमारी होती है ।लक्षणों के बारे में बात करते हुए, डॉ राका ने कहा कि गंभीर किडनी की बीमारी के साथ जो लक्षण विकसित हो सकते हैं उनमें शामिल हैं; स्पष्ट रूप से सोचने में कठिनाई, भूख कम लगना, वजन कम होना, खुश्क व खुजली वाली त्वचा, मांसपेशियों में ऐंठन, फ्लूइड रिटेंशन जो पैरों और टखनों में सूजन का कारण बनता है, आंखों के आसपास सूजन, सामान्य से अधिक बार पेशाब करने की आवश्यकता, एनीमिया के कारण पीला होना, बीमार महसूस करना व जी मिचलाना आदि ।