अमरपाल नूरपुरी:
शूटर दादी के नाम से मशहूर बागपत की चंद्रो तोमर इस दुनिया को अलविदा कह गई। वह कोरोना वायरस से पीड़ित थी और मेरठ के एक अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था जहां उन्होंने आखिरी सांस ली। 89 वर्षीय चंद्रो तोमर ने 65 वर्ष की आयु में अपनी शूटिंग कैरियर की शुरुआत की थी। बताया जाता है कि उन्होंने 30 के करीब राष्ट्रीय शूटिंग चैंपियनशिप में भाग लेकर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया और जीत हासिल की थी। उनकी ननद प्रकाशी तोमर , भतीजी सीमा तोमर और पोती शेफाली तोमर भी उनकी शूटिंग टीम का प्रमुख हिस्सा थी जिससे उन्हें प्रेरणा मिलती थी।
जौहरी राइफल क्लब के कोच फारूक पठान के अनुसार चंद्रो तोमर में गजब का उत्साह, हिम्मत और शक्ति थी जो उन्हें दूसरों से अलग बनाती थी। शूटर दादी की आंखों में एक अजीब सी चमक और पैनापन था जो किसी भी टारगेट को साधने मैं सक्षम था। ऐसी विलक्षण प्रतिभा देखकर उनके कोच भी प्रभावित हुए बिना नहीं रहे। चंद्रो तोमर में एक बार शूटिंग की दुनिया में कदम रखा तो फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा और लगातार सफलता की सीढ़ियां तय करती गई। चंद्रो की प्रतिभा और हठ को देखकर उनके पति ने भी विरोध करना छोड़ दिया और पूरा सहयोग देने लगा। पांच बच्चों की मां चंद्रो तोमर की तूती थोड़े समय में ही दूरदराज के इलाकों में भी बोलने लगी। 1999 के आसपास चंद्रो तोमर ने चेन्नई में आयोजित वेटरन शूटिंग चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीतकर दुनिया को यह संदेश दिया की प्रतिभा उम्र की मोहताज नहीं होती। स्मरण रहे चंद्रो तोमर की भतीजी सीमा तोमर विश्व कप 2010 के राइफल और पिस्टल प्रतिस्पर्धा में मेडल जीत चुकी है। उनकी पोती शेफाली तोमर भी शार्प शूटर है और अंतरराष्ट्रीय शूटिंग प्रतियोगिता में भाग ले चुकी है।
शूटर दादी के नाम से विख्यात चंद्रो तोमर उस समय चर्चा में आई ,जब निर्माता जोड़ी निधि परमार और अनुराग कश्यप ने उनके जीवन पर फीचर फिल्म बनाने की घोषणा की।
फिल्म सांड की आंख में शार्प शूटर चंद्रो तोमर और उनकी ननद प्रकाशी तोमर जो रिवाल्वर दादी के नाम से मशहूर हैं की जिंदगी के अनछुए पहलुओं को दिखाया गया है। दोनों बागपत के गांव जौहरी से ही ताल्लुक रखती हैं। इस फिल्म में चंद्रो तोमर की भूमिका अभिनेत्री भूमि पेडणेकर और प्रकाशी तोमर की भूमिका तापसी पन्नू ने निभाई है। यह फिल्म 25 अक्टूबर 2019 को रिलीज हुई थी जिसकी दर्शकों ने भरपूर सराहना की थी। तुषार हीरानंदानी के निर्देशन में बनी इस फिल्म ने चंद्रो तोमर और प्रकाशी तोमर को देश-विदेश में चर्चा का विषय बना दिया था।