अमरपाल नूरपुरी:
पंजाब के जाने-माने थिएटर कलाकार और व्रत चित्र निर्माता-निर्देशक गुरचरण सिंह चन्नी करीब 70 वर्ष की आयु में आज इस दुनिया को अलविदा कह गए। वह कोरोना संक्रमित थे और मोहाली के फोर्टिस अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था। संगीत नाटक अकादमी के पूर्व अध्यक्ष जीएस चन्नी का लगभग 40 वर्षों से रंगमंच के साथ नाता था। यदि कहा जाए कि दोनों एक दूसरे के पूरक थे, तो कुछ गलत नहीं होगा।
सन 1973 में जीएस चन्नी ने प्रख्यात रंगकर्मी और लेखक बलवंत गार्गी की छत्रछाया में पंजाब यूनिवर्सिटी के डिपार्टमेंट ऑफ इंडियन थिएटर से पोस्टग्रेजुएट का डिप्लोमा हासिल किया। इसके बाद चन्नी ने पुणे फिल्म संसथान में दाखिला लिया और अभिनय के साथ तकनीकी जानकारियां भी प्राप्त की। वहां प्रोफ़ेसर के तौर पर भी उन्होंने अपनी सेवाएं दी।
बहुमुखी प्रतिभा के धनी जीएस चन्नी ने दिल्ली के नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा से भी 3 वर्ष का कोर्स किया। दूरदर्शन के लिए भी उन्होंने विभिन्न विषयों पर दस्तावेजी फिल्मों का निर्माण किया ,जिन्हें भरपूर सराहना मिली। मधुर स्वभाव के उम्दा कलाकार चन्नी का जीवन सदैव रंगमंच के प्रति समर्पित रहा। उन्होंने चंडीगढ़ में नुक्कड़ नाटकों को बढ़ावा देने के साथ उभरते कलाकारों का भी मार्गदर्शन करने में अहम भूमिका निभाई। प्रसिद्ध रंगमंच कलाकार और लोक नृत्य निर्देशक बलकार सिद्धू ने भी उनके नाटकों में अपनी हाजिरी लगवाई और प्रतिभा का सबूत दिया। जीएस चन्नी ने पंजाबी की कुछ फिल्मों पंजाब 1984 एवं शरीक के अलावा टीवी सीरियल बंधक, सहर ,तीन सवाल,नाकूश ,एडवोकेट गुरनाम सिंह आदि का निर्देशन भी किया है।
जीएस चन्नी ने 1981 से 1992 के बीच पंजाब के हालात को देखते हुए ज्वलंत कविताओं, लोकगीतों, राजनीति एवं भ्रष्टाचार पर आधारित बहुत से नाटकों का मंचन और निर्देशन किया जिनमें मेरा भारत महान, मैं जला दी जाऊंगी, इस देश की सुरक्षा तो सानू खतरा है, अंधेरे के खिलाफ, जख्मों के कई नाम, भाग्य अपना-अपना, खुली हवा की तलाश,दुक्का दुम्बी बिल्ला , जिंदगी रिटायर नहीं होती आदि प्रमुख है जिन्होंने थिएटर की दुनिया में नए आयाम स्थापित किए। सेवा भावना से भरे जीएस चन्नी ने कोरोना काल में पीड़ितों के मानसिक तनाव को दूर करने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए और उनके चेहरों पर मुस्कान लाने का प्रयास किया। यह अलग बात है कि लोगों की सेवा करते हुए वह खुद इस जानलेवा बीमारी का शिकार हो गए।
प्रख्यात रंगकर्मी जीएस चन्नी अब चाहे हमारे बीच नहीं रहे ,पर रंगमंच के प्रति उनके प्रेम और निष्ठा को दर्शक कभी भूल नहीं पाएंगे।
So sad
Very useful information about S.Gurcharan Singh ji
स्वर्गीय चन्नी जी के बारे में बहुत ही ज्ञान-वर्धक जानकारी वाले विस्तृत आर्टिकल लिखने के लिए श्री नूरपुरी जी विशेष बधाई के पात्र हैं।