-अमरपाल नूरपुरी
उड़न सिक्ख के नाम से पूरी दुनिया में मशहूर भारतीय एथलीट मिल्खा सिंह नहीं रहे। गत शुक्रवार 18 जून को चंडीगढ़ के पीजीआई में उनका निधन हो गया। वह कोरोना संक्रमित थे और पिछले कई दिनों से इस जानलेवा बीमार से जूझ रहे थे। इसके पूर्व मोहाली के फोर्टिस अस्पताल में भी वह कुछ दिन तक दाखिल रहे थे और उनकी कोरोना रिपोर्ट नेगेटिव आने के बाद अस्पताल से उन्हें डिस्चार्ज किया गया था मगर कुछ समय बाद मिल्खा सिंह की हालत फिर बिगड़ गई, जिससे वह अंत तक उबर नहीं पाए और दुनिया से कूच कर गए। पांच दिन पूर्व 13 जून को ही उनकी पत्नी निर्मल कौर का देहांत हुआ था। मिल्खा सिंह का जन्म 20 नवम्बर 1929 को पाकिस्तान के फैसलाबाद में हुआ था। बचपन से ही वह जुझारू और दृढ़ निश्चय के स्वामी थे। 1947 में विभाजन के बाद वह भारत आ गए और दिल्ली को अपना ठिकाना बनाया। विभाजन में हुई कत्लोग़ारत ने उनके दिल को तार-तार कर दिया था और इस नर संहार में हुई परिवार वालों की अकाल मौत ने उनसे जिंदगी का सुकून छीन लिया था। उन दिनों को मिल्खा सिंह ताउम्र नहीं भूले। जीवन के अंतिम क्षणों में भी वही पुरानी यादें उनके जेहन में ताज़ा थी।
मिल्खा सिंह छोटी उम्र से ही सेना में भर्ती होने के ख्वाब देखा करते थे जो सन 1951 में उनके कुछ सहयोगियों की मदद से पूरा हो सका। सेना में भी ट्रैनिंग के दौरान वह दौडऩे का निरंतर अभ्यास किया करते थे जो उनके चैंपियन एथलीट बनने की वजह बना।
सन 1958 में टोक्यो में आयोजित एशियन गेम्स में उनकी प्रतिभा और परिश्रम ने सबको चौंका दिया। 200 मीटर एवं 400 मीटर की रेस में उन्होंने पाकिस्तान के अब्दुल खालिक को हराया और गोल्ड मैडल जीतकर भारत का नाम ऊंचा किया। मिल्खा सिंह की कामयाबी को देखते हुए 1959 में उन्हें केंद्र सरकार द्वारा सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पदमश्री से नवाज़ा गया।
1960 में मिल्खा सिंह ने रोम ओलंपिक में भाग लिया और 400 मीटर प्रतिस्पर्धा में चौथे स्थान पर रहे। वह 0.1 सैकेंड से मेडल प्राप्त करने से चूक गए और 45.6 सैकेंड का राष्ट्रीय रिकार्ड बनाया जो 40 वर्षों तक कायम रहा। उसके बाद मिल्खा सिंह ने जकार्ता एशियन गेम्स में 400 मीटर की रेस जीतकर स्वर्ण पदक हासिल किया। इसी दौरान 1963 में भारतीय महिला वॉलीबाल टीम की पूर्व कप्तान निर्मल कौर सैनी के साथ उनका विवाह हो गया । 2013 में मिल्खा सिंह की बायोपिक पर आधारित हिंदी फिल्म ‘भाग मिल्खा भाग’ को बेहद सफलता मिली थी। राकेश ओम प्रकाश मेहरा द्वारा निर्देशित इस फिल्म में फरहान अख्तर ने मिल्खा सिंह की भूमिका निभाई थी और सोनम कपूर का भी रोमांटिक रोल था। मिल्खा सिंह को फ्लाईंग सिक्ख की उपाधि उनके पाकिस्तान दौरे के दौरान एक इवेंट में वहां के तत्कालीन जनरल अयूब खान ने दी थी, जो अंत तक उनके नाम के साथ जुड़ी रही।
फ्लाइंग सिक्ख मिल्खा सिंह के अचानक देहावसान पर चंडीगढ़ के वरिष्ठ रंगकर्मी और लोक नृत्य निर्देशक बलकार सिद्धू, वरिष्ठ फिल्म पत्रकार जगमोहन सिंह बरहोक, ज्योतिर्विद मदन गुप्ता सपाटू, कवि एवं लेखक रवेल सिद्धू, पुष्प, गीतकार पवन चोटियां, संगीत निर्माता गुरी मांगट, पत्रकार श्रीकांत आचार्य, पत्रकार एम.आर. रावत, पत्रकार राजीव सचदेवा, जसमीत सिंह, नागेश श्रीवास्तव, अमित श्रीवास्तव, समाज सेवी रमेश श्रीवास्तव एवं अमित गर्ग आदि ने गहरी संवेदना प्रकट की है और भारत सरकार से मांग की है कि देश का नाम रौशन करने वाले इस महान धावक को मरणोंपरांत भारत रत्न की उपाधि से विभूषित किया जाए। यही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
प्रख्यात एथलीट एवं विश्व भर में भारत का नाम रौशन करने वाले श्री मिल्खा सिंह जी के बारे में वरिष्ठ पत्रकार श्री अमरपाल नूरपुरी जी द्वारा बहुत उम्दा आर्टिकल और उपयुक्त श्रध्दांजलि।