-अमरपाल नूरपुरी
बॉलीवुड के युवा फिल्म अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की रहस्यमय मौत को जिसे पुलिस ने आत्महत्या घोषित किया है , को लगभग एक साल बीतने को है मगर अब भी उसके चाहने वालो में यह संशय बना हुआ है उसे न्याय कब मिलेगा और इस सच से पर्दा कब उठेगा। सीबीआई पिछले नौ महीनो से इस जटिल केस की जाँच पड़ताल कर रही है और इस दौरान वो सुशांत राजपूत से जुड़े दर्जनों लोगों से पूछताछ कर चुकी है पर नतीजा अब भी वही ढाक के तीन पात।
अधिकारी पूरी मुस्तैदी के साथ किसी पुख्ता सबूत की तलाश में हाथ पैर मार रहे है , हालांकि कुछ पहले कई न्यूज़ चैनलों ने सुशांत सिंह राजपूत की मौत से जुड़े महत्वपूर्ण पहलुओं को सामने लाने का एक प्रयास किया था और कुछ प्रभावशाली हस्तियों को अपना निशाना बनाया था ,मगर बाद में पुलिस -प्रशासन के दबाव में उन्होंने भी अपने कदम पीछे खींच लिए। इस मुहिम से जुड़े कुछ यूट्यूबरस को भी धमकियाँ मिलने लगी और मामले को तूल न देने का दबाव बनाया गया। बीजेपी नेता राम कदम ने भी इस केस में स्थानीय प्रशासन के सहयोग न करने की पुरजोर निंदा की थी और सच को सामने लाने का बीड़ा उठाया था ,जिसका कई अन्य नेताओं ने स्वागत तो किया पर कोई ठोस नतीजा सामने नहीं आया। कुल मिलकर राज्य के मुख्यमंत्री भी मूकदर्शक बने रहे।
दिशा सालियन केस में भी सीबीआई के हाथ कोई पुख्ता सबूत नहीं लगा । उसकी आत्महत्या भी विवादों के घेरे में है। कहा तो यह भी जाता है की दिशा की इस विवादास्पद मौत के पीछे भी उन्ही लोगों का हाथ होने का अंदेशा था ,जिन्होंने बाद में सुशांत राजपूत को भी अपने जाल में फंसा कर कथित रूप से आत्महत्या करने पर मजबूर कर दिया।
सीबीआई के साथ काम कर रही नारकोटिक्स ब्यूरो ने भी केस में गति लाने के लिए कुछ ड्रग तस्करों पर शिकंजा कसा है और उन्हें हिरासत में लिया है ,मगर मायानगरी के बड़े चेहरों से वह अब भी कोसों दूर हैं। हाल ही में नारकोटिक्स ब्यूरो द्वारा सिद्धार्थ पिठानि को हिरासत में लिए जाने के बाद लोगों के अंदर ये आशा जगी है की अब वह कौनसा खुलासा करेगा जिससे इस बहुचर्चित मामले की परतें खुल सके। सुशांत सिंह राजपूत के घरवाले तथा उसके प्रशंसक यही उम्मीद लगाए बैठे हैं कि उसे जल्द से जल्द न्याय मिले और उसकी आत्मा को शांति प्राप्त हो। जांच एजेंसियां पूरी ईमानदारी के साथ अपनी ड्यूटी निभाएं ताकि देशवासियों की आस्था उन पर बनी रहे।
Justice should be provided Sushant Singh Rajput ???
Too much delay in justice