अमरपाल नूरपुरी :
हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला को भारत के कुछ चुनिंदा लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में गिना जाता है। समुद्र तल से लगभग 2213 मीटर की ऊंचाई पर स्थित शिमला एक सुंदर एवं मनमोहक पर्वतीय स्थल है। जिसे पहाड़ों का राजा और ‘पहाड़ों का दिल’ भी कहा जाता है। यह पर्यटन स्थल देवी श्यामला के नाम पर बसा है। आजादी से पूर्व ब्रिटिश काल में यह नगर भारत की ग्रीष्मकालीन राजधानी हुआ करता था और अग्रेजों ने भी इस नगर की खूबसूरती कायम रखने में कोई कसर नहीं छोड़ी। कहा जाता है कि गोरखा युद्ध के दौरान लैफ्टीनेंट रौस ने सर्वप्रथम इस पर्वतीय स्थल की खोज की थी। इस बात की पुष्टि सर एडवर्ड बक ने भी की है कि सन् 1819 में सहायक राजनैतिक अधिकारी लैफ्टीनेंट रौस ने शिमला पहुंच कर सबसे पहले अपने रहने के लिये घास-फूस और लकड़ी की एक झौपड़ी बनायी थी। उसके बाद सन् 1822 में मेजर कैनेडी इस क्षेत्र के राजनैतिक अधिकारी नियुक्त हुए और उन्होंने शिमला में लकड़ी का पहला मकान बनवाया। कैनेडी हाऊस के निर्माण के बाद तो अन्य अंग्रेज अधिकारी भी यहां के आकर्षण से अछूते नहीं रहे और शिमला की हसीन वादियों में आकर बस गये। धीरे – धीरे यहां चहल पहल बढऩे लगी।
सन् 1903 में शिमला कालका के मध्य रेलवे लाईन बिछाने का कार्य प्रारम्भ हो गया था।कहा जाता है इस रेलवे ट्रैक की खोज वहां के एक मजदूर भलकु ने की थी।कालका से शिमला तक की रेल यात्रा का एक अपना अलग ही आनंद है। लगभग 103 छोटी-बड़ी सुरंगों को पार करती हुई टॉय ट्रेन यह दूरी लगभग 6 घटे में पूरी करती है। जबकि कालका से बस द्वारा करीब 90 किलोमीटर का यह सफर लगभग साढ़े तीन घटे में तय हो जाता है। वैसे तो शिमला में वर्ष भर ही पर्यटकों का तांता लगा रहता है पर गर्मी के मौसम में या दिसम्बर-जनवरी में बर्फ गिरने के समय तो यहां की रौनक देखने लायक होती है। ऐसे समय में होटल वालों की बन आती है और वह पर्यटकों से मन चाहे पैसे वसूल करते हैं। पर्यटकों को पटाकर होटल तक लाने में स्थानीय बिचौलियों की भूमिका भी अत्यंत महत्त्वपूर्ण होती है। परंतु अब होटलों की ऑलाइन बुकिंग से एनका काम घट गया है।
देवदार, ओक तथा चीड़ के ऊंचे-ऊंचे हरे-भरे वृक्षों से घिरा शिमला सांझ ढलते ही अपने प्राकृतिक सौंदर्य का जादू बिखेरने लगता है। ऐसे में रिज पर खड़े
होकर ढलते हुए सूर्य की आभा निहारना अत्यंत सुखद प्रतीत होता है। यहां घुड़सवारी करने एवं टहलने का भी एक अपना ही मजा है। इसी मैदान पर स्थित गिरजाघर की प्राचीन शैली की खूबसूरत ईमारत और उसके ऊंचे बुर्ज अनायास ही पर्यटकों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करते हैं। कहा जाता है कि यह गिरजाघर 1844 के आसपास अस्तित्व में आया था। तब से लेकर आज तक यह गिरजाघर गर्व से सिर उठाये शिमला की शोभा बढ़ा रहा है। रिज से थोड़ा नीचे उतरते ही लक्कड़ बाजार है जहां लकड़ी की सजावटी तथा घरेलू वस्तुएं उचित दाम पर मिल जाती हैं। विशेष बात यह है कि यहां की माल रोड और रिज क्षेत्र में गाडिय़ों के आवागमन पर पूर्ण प्रतिबंध है जिस कारण सैलानी बेफिक्री से घूमने फिरने के साथ-साथ प्रकृति की सुंदरता का पूरा लुत्फ उठाते हैं।
शिमला के आस-पास देखने लायक अनेकों खूबसूरत स्थान हैं जिनमें कालीबाड़ी मंदिर, जाखू टेम्पल , कुफरी, फागू , मशोबरा, नालदेहरा, चैल, समरहिल, चाडविक जल प्रपात, प्राकस्पैकट हिल तथा नारकंडा गोल्फ क्लब का नाम उल्लेखनीय है। हालांकि कुछ वर्षों में यहां पानी की समस्या ने विकराल रूप धारण कर लिया है फिर भी इस सुंदर पर्यटन स्थल को देखने के लिये पर्यटकों का तांता लगा रहता है। शिमला में ठहरने की कोई समस्या नहीं है। छोटे-बड़े सभी तरह के होटल तथा धर्मशालायें यहां मौजूद हैं। यहां के प्रमुख होटलों में ‘हाली डे होम, एशिया दी डॉन , ओबराय सेसिल , हिमलैंड, होटल पाइनव्यू, गुलमर्ग, वुडविले पैलेस, गैंड, मारीना,रैडिसन जैस ,कोम्बरमेर,ब्रिज व्यू तथा होटल वेलकम के नाम लिये जा सकते हैं। ‘भोजन के लिये भी माल रोड पर सस्ते ढाबों से लेकर महंगे रेस्तरां तक आपको मिल जायेंगे। आईसक्रीम, कॉफी, जूस, बेकरी और स्नैकस की दुकानें पर्यटकों की सुविधा के लिये हर जगह उपलब्ध हैं। यदि आप शिमला में खरीदारी करना चाहें तो सिर्फ लकड़ी का सामान, शाले अथवा हिमाचली टोपिया ही खरीदें। चूंकि अन्य सामान बाहर से लाकर बेचा जाता है इसलिये काफी महंगा होता है। कुल मिलाकर शिमला एक आदर्श पर्यटन स्थल है, जो सभी पर्यटकों की कसौटी पर खरा उतरता है। गर्मी का मौसम हो या सर्दियों का, सालभर यहां पर्यटकों की वजह से खूब रौनक रहती है। पर कोरोना की मार से यह नगर भी अछूता नहीं रहा। यहां के पर्यटन उद्योग को भारी नुकसान पहुंचा है, जिसकी भरपाई करना फिलहाल संभव नहीं है ।
Shimla is a beautiful city
Such a ture lines Sir .