-न्यूज़मिरर डेस्क
चंडीगढ़: हरप्रीत कौर बबला जिन्होंने कांग्रेस से टिकट मांगा, कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में एमसी चुनाव लड़े, अपने चुनाव प्रचार के दौरान भाजपा की नीतियों की आलोचना की, लेकिन चुनाव जीतने के बाद उन्होंने पार्टी से अलग होना पसंद किया और अपनी प्रतिद्वंद्वी पार्टी भाजपा में शामिल हो गए । चण्डीगढ़ कांग्रेस के प्रवक्ता राजेश शर्मा ने आरोप लगाया कि कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में निगम चुनाव जीतने के बाद कांग्रेस पार्टी से दलबदल का काम स्पष्ट रूप से पार्टी के साथ नहीं बल्कि उस वार्ड के लोगों के साथ विश्वासघात का काम है, जिसने उन्हें चुना ।
राजेश शर्मा ने कहा कि दविंदर सिंह बबला को एक न्यूज़ पोर्टल को दिए इंटरव्यू में यह कहते हुए देखा गया था कि वह कांग्रेसी थे, कांग्रेसी हैं और कांग्रेसी रहेंगे। लेकिन अगले ही दिन वह कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीतने वाली अपनी पत्नी हरप्रीत कौर बबला के साथ बीजेपी में शामिल हो गए।
विडंबना यह है कि भाजपा के खिलाफ मुखर रहे बबला ने अब इसके लिए तारीफ के पुल बांध दिए, इतना ही नहीं, भाजपा में शामिल होने के समारोह के दौरान उन्होंने कहा कि यह उनकी घर वापसी है क्योंकि उन्हें एहसास हुआ कि वह बचपन में आरएसएस के शाखा में जाते रहे हैं और उन्होंने शाखा में ही लाठी चलाने की कला सीखी थी ।
राजेश शर्मा ने कहा कि भाजपा में शामिल होने के बाद बबला अब यह आरोप लगा रहे हैं कि टिकट वितरण के बाद कांग्रेस पार्टी की ओर से कोई भी उनके वार्ड में उनका समर्थन करने नहीं आया, लेकिन आश्चर्यजनक रूप से यह भूल गए कि पूर्व केंद्रीय मंत्री और कोषाध्यक्ष एआईसीसी पवन कुमार बंसल ने घर-घर जाकर चुनाव प्रचार में भी उनका साथ दिया था, इसके अलावा एआईसीसी के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला, विधायक सुजानपुर हिमाचल प्रदेश के राजिंदर राणा, मोहाली के मेयर अमरजीत सिंह व अन्य ने वार्ड में इनके समर्थन में रैलियां की थी ।
ऐसा देखा गया है कि खासकर वार्ड से काफी बड़ी संख्या में वासी उनके विश्वासघात की निंदा कर रहे हैं और हरप्रीत कौर बबला से पार्षद पद के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं। बेहतर होगा कि हरप्रीत कौर बबला खुद नैतिकता के आधार पर पार्षद पद से इस्तीफा दे दें और उसके बाद वह स्वतंत्र रूप से या तो “बबला ब्रांड” या भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ सकती हैं ताकि मतदाता अपनी पसंद के व्यक्ति या पार्टी को अपने बहुमूल्य वोट दे कर जिता सकें ।
राजेश शर्मा ने कहा कि चंडीगढ़ नगर निगम चुनाव में हालांकि कांग्रेस पार्टी को सिर्फ 8 सीटें मिलीं, लेकिन उसे अधिकतम वोट शेयर मिला है, जो कांग्रेस के पक्ष में चंडीगढ़ के लोगों के जनादेश को दर्शाता है और लोगों ने बीजेपी के कुशासन के खिलाफ वोट दिया, लेकिन दूसरी तरफ AAP को 14 सीटें मिलीं लेकिन उन्हें सिर्फ 27% वोट शेयर मिला ।
चंडीगढ़ में भाजपा को हालांकि 35 सीट वाली कॉरपोरेशन में 12 सीटें मिली हैं, लेकिन भाजपा अध्यक्ष अरुण सूद का निगम में मेयर की सीट को हथियाने का दावा और अब बबला द्वारा भाजपा में शामिल होने से साफ होता है कि भाजपा पैसे, सत्ता या अनुचित दबाव का इस्तेमाल कर रही है ताकि मेयर चुनाव में किसी भी तरह अपनी जीत हासिल की जा सके, जो पूरी तरह से गलत और लोकतंत्र की संस्था के खिलाफ है ,राजेश शर्मा ने कहा ।
विडंबना यह है कि भाजपा के खिलाफ मुखर रहे बबला ने अब इसके लिए तारीफ के पुल बांध दिए, इतना ही नहीं, भाजपा में शामिल होने के समारोह के दौरान उन्होंने कहा कि यह उनकी घर वापसी है क्योंकि उन्हें एहसास हुआ कि वह बचपन में आरएसएस के शाखा में जाते रहे हैं और उन्होंने शाखा में ही लाठी चलाने की कला सीखी थी ।
राजेश शर्मा ने कहा कि भाजपा में शामिल होने के बाद बबला अब यह आरोप लगा रहे हैं कि टिकट वितरण के बाद कांग्रेस पार्टी की ओर से कोई भी उनके वार्ड में उनका समर्थन करने नहीं आया, लेकिन आश्चर्यजनक रूप से यह भूल गए कि पूर्व केंद्रीय मंत्री और कोषाध्यक्ष एआईसीसी पवन कुमार बंसल ने घर-घर जाकर चुनाव प्रचार में भी उनका साथ दिया था, इसके अलावा एआईसीसी के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला, विधायक सुजानपुर हिमाचल प्रदेश के राजिंदर राणा, मोहाली के मेयर अमरजीत सिंह व अन्य ने वार्ड में इनके समर्थन में रैलियां की थी ।
ऐसा देखा गया है कि खासकर वार्ड से काफी बड़ी संख्या में वासी उनके विश्वासघात की निंदा कर रहे हैं और हरप्रीत कौर बबला से पार्षद पद के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं। बेहतर होगा कि हरप्रीत कौर बबला खुद नैतिकता के आधार पर पार्षद पद से इस्तीफा दे दें और उसके बाद वह स्वतंत्र रूप से या तो “बबला ब्रांड” या भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ सकती हैं ताकि मतदाता अपनी पसंद के व्यक्ति या पार्टी को अपने बहुमूल्य वोट दे कर जिता सकें ।
राजेश शर्मा ने कहा कि चंडीगढ़ नगर निगम चुनाव में हालांकि कांग्रेस पार्टी को सिर्फ 8 सीटें मिलीं, लेकिन उसे अधिकतम वोट शेयर मिला है, जो कांग्रेस के पक्ष में चंडीगढ़ के लोगों के जनादेश को दर्शाता है और लोगों ने बीजेपी के कुशासन के खिलाफ वोट दिया, लेकिन दूसरी तरफ AAP को 14 सीटें मिलीं लेकिन उन्हें सिर्फ 27% वोट शेयर मिला ।
चंडीगढ़ में भाजपा को हालांकि 35 सीट वाली कॉरपोरेशन में 12 सीटें मिली हैं, लेकिन भाजपा अध्यक्ष अरुण सूद का निगम में मेयर की सीट को हथियाने का दावा और अब बबला द्वारा भाजपा में शामिल होने से साफ होता है कि भाजपा पैसे, सत्ता या अनुचित दबाव का इस्तेमाल कर रही है ताकि मेयर चुनाव में किसी भी तरह अपनी जीत हासिल की जा सके, जो पूरी तरह से गलत और लोकतंत्र की संस्था के खिलाफ है ,राजेश शर्मा ने कहा ।