-अमरपाल नूरपुरी
फिल्म जगत के जाने-माने फिल्म अभिनेता और अभिनय के बादशाह दिलीप कुमार का मुंबई के हिंदुजा अस्पताल में आज निधन हो गया। वह 98 वर्ष के थे और गत कुछ दिनों से उनकी तबीयत नासाज़ थी । मृत्यु के वक्त उनकी बेगम सायरा बानो उनके साथ थी ।
अभिनय की संस्था कहे जाने वाले दिलीप कुमार का जन्म 11 दिसंबर 1922 को पेशावर(अब पाकिस्तान )में हुआ था। उनका वास्तविक नाम मोहम्मद यूसुफ खान था। उनके पिता सरवर हुसैन फलों के व्यापारी थी और अभिनय से परिवार का कोई नाता नहीं था।
सन 1930 में दिलीप कुमार अपने परिवार के साथ मुंबई आ गए थे यहीं से उनके फिल्मी जीवन की शुरुआत हुई। उन्हें फिल्मों में लाने का श्रेय उस दौर की नामवर हीरोइन देविका रानी को जाता है जो बॉम्बे टॉकीज की मालकिन भी थी।
1944 में बनी ज्वार भाटा दिलीप कुमार की प्रथम फिल्म थी जिसमें रूमा गुहा उनकी नायिका थी। इस फिल्म को निर्देशित किया था अमिया चक्रवर्ती ने। दिलीप कुमार ने सफलता का स्वाद चखा फिल्म जुगनू से ,1947 में रिलीज हुई इस फिल्म में उनकी हीरोइन थी नूरजहां ,जो प्रसिद्ध गायिका भी थी। इस कामयाबी के बाद दिलीप कुमार ने पीछे मुड़कर नहीं देखा और सफलता की सीढ़ियां तय करते गए। उनकी हिट फिल्मों की फेहरिस्त में शहीद ,मेला ,नया दौर, पैगाम ,गंगा जमुना ,मुग़ल ए आज़म ,देवदास ,गोपी ,राम और श्याम ,सौदागर ,क्रांति ,शक्ति ,विधाता और कर्मा जैसी फिल्मों के नाम शामिल होते हैं ,जिन्होंने दिलीप कुमार की शौहरत को बुलंदियों तक पहुंचा दिया । फिल्म मुग़ल ए आज़म में शहजादा सलीम के किरदार को दर्शक अभी तक भूले नहीं होंगे।
इस फिल्म के बाद उनकी गिनती टॉप के अभिनेताओं में होने लगी थी। हालांकि उस दौर में अशोक कुमार ,भारत भूषण, राज कुमार, प्रदीप कुमार ,राज कपूर ,देवानंद सुनील दत्त और धर्मेंद्र जैसे दिग्गज अभिनेता बॉलीवुड में मौजूद थे, पर दिलीप कुमार की शौहरत और जानदार अभिनय ने सबको पीछे छोड़ दिया था।
दिलीप कुमार सिर्फ एक कलाकार ही नहीं बल्कि संपूर्ण संस्था थे । उनके अभिनय के कायल फिल्म अभिनेता धर्मेंद्र का मानना है कि दिलीप साहब से उम्दा कलाकार फिल्म इंडस्ट्री में कोई दूसरा नहीं हो सकता।
ट्रेजेडी किंग के नाम से मशहूर दिलीप कुमार हरफनमौला कलाकार थे और उनके अभिनय में जो विवधता थी ,वह उन्हें दूसरों से जुदा बनाती थी। यदि देखा जाए तो फिल्म जगत के अधिकांश कलाकारों ने उनकी अभिनय शैली को अपनाया और जीवन में सफलता अर्पित की।
दिलीप कुमार को उनके उत्कृष्ट एवं संजीव अभिनय के लिए 8 बार फिल्म फेयर अवॉर्ड से नवाजा गया था। इसके इलावा उन्हें 1994 में दादा साहेब फाल्के पुरस्कार और 2015 में पदम विभूषण से भी सम्मानित किया गया था ।पाकिस्तान सरकार की तरफ से भी दिलीप कुमार को 1998 में वहां के सर्वोच्च पुरस्कार निशान ए इम्तियाज़ से नवाज़ा गया था ।
दिलीप कुमार जैसे बेहतरीन कलाकार कभी कभी जन्म लेते है । यूँ लगता है ,जैसे उनके जाने से एक युग का अंत हो गया हो । बॉलीवुड उनकी मौत से हुए नुकसान की भरपाई शायद कभी न कर पाए ।
दलीप कुमार के निधन पर आपने अपने शब्दों से उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि दी है…..
Very great man rip?
लीजंड अभिनेता दिलीप कुमार के निधन पर उन के बारे में प्रमाणिक जानकारी से भरपूर ख़ूबसूरत आर्टिकल लिख कर अमरपाल नूरपुरी जी ने अपनी बेजोड़ लेखन-कला का प्रणाम दिया है।