-अमरपाल नूरपुरी
अपने शौक के लिए इंसान कुछ भी कर सकता है। चाहे इसका खामियाजा ही उसे क्यों न भुगतना पड़े। चंडीगढ़ के विश्व गुप्ता एवं विशाल गुप्ता भी इसका अपवाद नहीं हैं। उन्होंने एक अनोखा शौक पाल रखा है- मुफ्त के उपहार जमा करने का।
पाठकों की जानकारी के लिए हम बता दें कि यह उपहार वे होते हैं जो विभिन्न कम्पनियों की तरफ से मशहूरी के लिए सामान के साथ मुफ्त दिए जाते है। इससे एक तो ग्राहक उनके उत्पाद की तरफ आकर्षित होते हैं और दूसरा कम्पनी का सामान मुफ्त उपहार की वजह से शीघ्र बिक जाता है।
गुप्ता बंधुओं को यह शौक कैसे पड़ा? पूछने पर उन्होंने बताया कि सन् 1983 में सैक्टर-15 स्थित एक दवाई की दुकान से उन्होंने ‘टोनस 7 टानिक खरीदा तो उसके साथ उपहार स्वरूप एक टिफिन बाक्स मिला। गुप्ता बंधुओं को मुफ्त का तोहफा पाकर खुशी भी हुई और आश्चर्य भी। बिना अतिरिक्त दाम दिये उन्हें टानिक के साथ मुफ्त उपहार मिल गया था। उन्हें यह सौदा फायदे का जान पड़ा। इसके बाद तो उन्हें उपहार वाली वस्तुएं खरीदने का ऐसा चस्का पड़ा, जो अब तक कायम है।
पाठकों की जानकारी के लिए हम बता दें कि यह उपहार वे होते हैं जो विभिन्न कम्पनियों की तरफ से मशहूरी के लिए सामान के साथ मुफ्त दिए जाते है। इससे एक तो ग्राहक उनके उत्पाद की तरफ आकर्षित होते हैं और दूसरा कम्पनी का सामान मुफ्त उपहार की वजह से शीघ्र बिक जाता है।
गुप्ता बंधुओं को यह शौक कैसे पड़ा? पूछने पर उन्होंने बताया कि सन् 1983 में सैक्टर-15 स्थित एक दवाई की दुकान से उन्होंने ‘टोनस 7 टानिक खरीदा तो उसके साथ उपहार स्वरूप एक टिफिन बाक्स मिला। गुप्ता बंधुओं को मुफ्त का तोहफा पाकर खुशी भी हुई और आश्चर्य भी। बिना अतिरिक्त दाम दिये उन्हें टानिक के साथ मुफ्त उपहार मिल गया था। उन्हें यह सौदा फायदे का जान पड़ा। इसके बाद तो उन्हें उपहार वाली वस्तुएं खरीदने का ऐसा चस्का पड़ा, जो अब तक कायम है।
विश्व गुप्ता एवं विशाल गुप्ता रोज़ाना समाचार पत्र-पत्रिकाओं को ध्यान से देखते हैं ताकि किसी कम्पनी की तरफ से ग्राहकों के लिए नई स्कीम आने पर उन्हें तुरन्त पता चल सके। कई दफा तो अखबार में विज्ञापन आते ही वह दुकानदार के पास उपहार वाली वस्तुएं खरीदने पहुंच जाते हैं। क्षेत्र के सभी दुकानदार उनसे भली-भांति परिचित हैं। विश्व गुप्ता, यू.पी. हैन्डलूम में बतौर सेल्समैन काम कर चुके हैं। जबकि उनके छोटे भाई विशाल गुप्ता, चंडीगढ़ के निकट एक प्राईवेट कम्पनी में कार्यरत हैं और अपने परिवार के साथ सैक्टर 40, चंडीगढ़ में रहते हैं।
गुप्ता बंधु विवाहित होने के बावजूद अपनी आमदन का एक बड़ा हिस्सा उन वस्तुओं पर खर्च कर देते हैं, जिनके साथ उन्हें मुफ्त उपहार मिलते हैं। अब तक दोनों भाई लगभग एक लाख तोहफे एकत्र कर चुके हैं, जिनमें खिलौने, कांच के फूलदान, जार, लैम्प शेड, अटैची केस, टी-शर्टस, पुस्तकें, प्लास्टिक के बर्तन, बैग, साईकल आदि शामिल हैं। गुप्ता भाइयों के बताए अनुसार इतनी अधिक संख्या में उपहार जमा करने का यह एक विश्व रिकार्ड है।
गुप्ता भाईयों के अनुसार इतनी अधिक संख्या में उपहार जमा करने का यह विश्व रिकार्ड है। ‘गिनीज बुक में ऐसे किसी रिकार्ड का उल्लेख नहीं है। गुप्ता बंधू अब तक करीब पांच -छह लाख रुपए की उपहार वाली वस्तुएं खरीद चुके हैं।
उनकी इस फिजूलखर्ची पर घर वालों की क्या प्रतिक्रिया है? इस बारे में गुप्ता बंधुओं का कहना है कि वह कोई गलत काम नहीं करते और न ही उन्हें कोई ऐब है। इसलिए घर वालों ने कभी उनकी राह में रूकावट नहीं पैदा की, बल्कि हमेशा उनकी हौसला अफजाई की है।
विश्व गुप्ता एवं विशाल गुप्ता पुणे, बंगलौर, गोवा, मद्रास, त्रिवेन्द्रन, कन्या कुमारी, दिल्ली आदि स्थानों का दौरा भी कर चुके हैं, जहां कई बड़ी-बड़ी कम्पनियों से उन्होंने तोहफे भी हासिल किये।
इतनी संख्या में उपहार एकत्र करने के पीछे गुप्ता बंधुओं का एकमात्र लक्ष्य यही है कि उनका नाम रिकार्डों की पुस्तिका ‘गिन्नीज़ बुक आफ वर्ल्ड रिकार्डस में दर्ज हो जाए। इसके लिए वह भरसक प्रयत्न कर रहे हैं। ‘लिम्का बुक आफ रिकार्डस के १९९२ से २०२१ संस्करण एवं इंडिया बुक ऑफ रिकार्ड्स के २००४ से २०१२ रिकार्डस में उनका नाम पहले ही दर्ज हो चुका है। अब वे अपने लक्ष्य की तरफ अग्रसर है। देखें, उन्हें मंजिल कब नसीब होती है। मृदुभाषी विश्व गुप्ता, समाज सेवी कामों में भी हिस्सा लेते हैं और समाज में उनको अच्छी प्रतिष्ठा है।
गुप्ता बंधु विवाहित होने के बावजूद अपनी आमदन का एक बड़ा हिस्सा उन वस्तुओं पर खर्च कर देते हैं, जिनके साथ उन्हें मुफ्त उपहार मिलते हैं। अब तक दोनों भाई लगभग एक लाख तोहफे एकत्र कर चुके हैं, जिनमें खिलौने, कांच के फूलदान, जार, लैम्प शेड, अटैची केस, टी-शर्टस, पुस्तकें, प्लास्टिक के बर्तन, बैग, साईकल आदि शामिल हैं। गुप्ता भाइयों के बताए अनुसार इतनी अधिक संख्या में उपहार जमा करने का यह एक विश्व रिकार्ड है।
गुप्ता भाईयों के अनुसार इतनी अधिक संख्या में उपहार जमा करने का यह विश्व रिकार्ड है। ‘गिनीज बुक में ऐसे किसी रिकार्ड का उल्लेख नहीं है। गुप्ता बंधू अब तक करीब पांच -छह लाख रुपए की उपहार वाली वस्तुएं खरीद चुके हैं।
उनकी इस फिजूलखर्ची पर घर वालों की क्या प्रतिक्रिया है? इस बारे में गुप्ता बंधुओं का कहना है कि वह कोई गलत काम नहीं करते और न ही उन्हें कोई ऐब है। इसलिए घर वालों ने कभी उनकी राह में रूकावट नहीं पैदा की, बल्कि हमेशा उनकी हौसला अफजाई की है।
विश्व गुप्ता एवं विशाल गुप्ता पुणे, बंगलौर, गोवा, मद्रास, त्रिवेन्द्रन, कन्या कुमारी, दिल्ली आदि स्थानों का दौरा भी कर चुके हैं, जहां कई बड़ी-बड़ी कम्पनियों से उन्होंने तोहफे भी हासिल किये।
इतनी संख्या में उपहार एकत्र करने के पीछे गुप्ता बंधुओं का एकमात्र लक्ष्य यही है कि उनका नाम रिकार्डों की पुस्तिका ‘गिन्नीज़ बुक आफ वर्ल्ड रिकार्डस में दर्ज हो जाए। इसके लिए वह भरसक प्रयत्न कर रहे हैं। ‘लिम्का बुक आफ रिकार्डस के १९९२ से २०२१ संस्करण एवं इंडिया बुक ऑफ रिकार्ड्स के २००४ से २०१२ रिकार्डस में उनका नाम पहले ही दर्ज हो चुका है। अब वे अपने लक्ष्य की तरफ अग्रसर है। देखें, उन्हें मंजिल कब नसीब होती है। मृदुभाषी विश्व गुप्ता, समाज सेवी कामों में भी हिस्सा लेते हैं और समाज में उनको अच्छी प्रतिष्ठा है।