–अमरपाल नूरपुरी
भारतीय क्रिकेट टीम को आईसीसी वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल मुकाबले में न्यूजीलैंड की टीम से करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा ,वह भी 8 विकेट से। कागजों पर मजबूत नजर आने वाली स्टार खिलाड़ियों से सजी भारतीय टीम मैदान में ताश के पत्तों की तरह ढह गई।
पहली पारी में 217 रन बनाने वाली भारतीय क्रिकेट टीम को न्यूजीलैंड ने 249 रन बनाकर 32 रनों की लीड दी ,जो दूसरी पारी में उन्हें बहुत महंगी पड़ी ।भारतीय टीम कुल 170 रन बनाकर सिमट गई और न्यूजीलैंड को मात्र 139 रनों का लक्ष्य मिला ,जिसे उन्होंने दो विकेट गवांकर आसानी के साथ पूरा कर लिया एवं भारतीय प्रशंसकों की आशाओं पर पूरी तरह से पानी फेर दिया।
खास बात यह है कि भारतीय टीम के सभी दिग्गज खिलाड़ी न्यूजीलैंड के तेज गेंदबाजों की आउट स्विंग और इन स्विंग गेंदों के सामने बेबस नजर आए और घुटने टेक दिए । अधिकांश बैट्समैन ऑफ़स्टंप के बाहर जाती गेंदों को खेलने के चक्कर में आसान कैच थमा बैठे। ध्यान देने योग्य बात है कि भारत का कोई भी बल्लेबाज हाफ सेंचुरी नहीं लगा सका। एक-एक रन के लिए उन्हें संघर्ष करना पड़ा। इस टेस्ट मैच में बारिश की वजह से पूरे 2 दिन का खेल धुल गया। दूसरी पारी में हमारे बल्लेबाज यदि संयम के साथ खेलते और विकेट पर अधिक से अधिक समय बिताने का प्रयास करते , तो नतीजा कुछ और होता। हमारा बॉलिंग अटैक भी उतना धारदार नहीं रहा। मोहम्मद शमी और रविचंद्र अश्विन को छोड़कर शेष गेंदबाज बिल्कुल साधारण नज़र आए। भारत के नंबर वन गेंदबाज जसप्रीत बुमराह भी विपक्षी टीम पर कोई प्रभाव नहीं डाल सके और दोनों पारियों में उन्हें एक भी विकेट नहीं मिला ,जो टीम के लिए चिंता का विषय है ।चेतेश्वर पुजारा भी धीरे धीरे अपनी लय खोते जा रहे है और गत ढाई वर्षों के दौरान उन्होंने एक भी शतक नही लगाया। देखा जाये तो इस हार के लिए टीम के साथ हमारे चयनकर्ता भी उतने ही जिम्मेवार है ।के एल राहुल और मयंक अग्रवाल जैसे जुझारू एवं प्रतिभाशाली खिलाडियों का टीम में चयन न करना भी कई सवाल खड़े करता है।भविष्य में भारतीय क्रिकेट टीम इस बुरे दौर से न गुजरे ,इसके लिए सबको मिलकर चिंतन करना चाहिए ,तभी हमारी टीम के हौसले बुलंद होंगे ।