-राजस्थान के लोक नृत्यों और लोक गीतों ने दर्शकों का मन मोहा
साहिबज़ादा अजीत सिंह नगर, 19 अक्टूबर: साहिबजादा अजीत सिंह नगर मोहाली के के प्रांगण में सजे सरस मेले में अलग-अलग राज्यों से आए कलाकार अपनी कलाकृति और मिट्टी की महक से जुड़े अलग-अलग लोक नृत्य पेश कर मेले में आए लोगों का मन मोह रहे हैं। सांस्कृतिक कार्यक्रमों की देखरेख कर रहे प्रो. गुरबख्शीश सिंह अंटाल ने कहा कि राजस्थान के बूंदी जिले के शेखावाटी क्षेत्र में कच्ची घोड़ी लोक नृत्य की प्रस्तुति दर्शकों के बीच विशेष आकर्षण का केंद्र बन रही है। राजस्थान की भूमि का यह लोक नृत्य जैसलमेर के टीलों की कठोर रेत से उत्पन्न हुआ है और विशेष रूप से गुजरात, राजस्थान और महाराष्ट्र राज्यों में किया जाता है। यह नृत्य राजस्थान में सर्वाधिक लोकप्रिय है। इस लोक नृत्य का नेतृत्व कर रहे गणेश कुमार सोनी ने बताया कि यह राजस्थान के पोखरण में बाबा रामदेव पीर की याद में सितंबर माह में तेजा दशवें माह में मनाया जाता है। इस लोक नृत्य में कलाकार अलगोजा, ढोल, गागर, खंजरी, ताल आदि लोक वाद्ययंत्रों से सुसज्जित होकर घोड़ों और छतरियों के साथ लोगों का मनोरंजन करते हैं। उन्होंने बताया कि इस ग्रुप में 8 कलाकार अपनी मनमोहक प्रस्तुतियों से मेलार्थियों को झूमने पर मजबूर कर देते हैं। बाबुल लाल पिछले 40 वर्षों से इस समूह में खंजर बजा रहे हैं और अलगोज़वाद अर्जुन पिछले 45 वर्षों से इस समूह का नेतृत्व कर रहे हैं और उन्होंने कहा कि उन्होंने भारत के लगभग हर राज्य में इस लोक नृत्य का प्रदर्शन किया है। ग्रुप लीडर गणेश कुमार सोनी ने बताया कि इस नृत्य में खजरी, अलगोजा, ढोल, ताल, गागर आदि लोक वाद्ययंत्रों का प्रयोग किया जाता है। इसके अलावा राजस्थान में तरनताली लोक नृत्य, कालवेलिया, घोड़ोनार लोक नृत्य लोकप्रिय हैं।