-न्यूज़मिरर ब्यूरो
मोहाली : भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता बोर्ड (आईबीबीआई) के तत्वावधान में आईआईआईपीआईसीएआई (IIIPICAI) यानी इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ इन्सॉल्वेंसी प्रोफेशनल्स ऑफ़ इंस्टिट्यूट ऑफ़ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ़ इंडिया के सहयोग से, सेना के कानून संस्थान, सेक्टर 68 में स्नातक दिवाला कार्यक्रम (जीआईपी) के विशेष संदर्भ में दिवाला पेशे के बारे में एक जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम में संस्थान के छात्र और विधि के छात्र शामिल हुए। यह कार्यक्रम ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के अंतर्गत आयोजित किया गया ।
इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड, 2016 माइक्रो और स्मॉल-स्केल एंटरप्राइजेज (MSMEs) की संकटग्रस्त संपत्तियों के पुनर्गठन के लिए केंद्र सरकार द्वारा एक बड़ा कदम उठाया गया। इस कार्यक्रम में मुख्य वक्ता सीए अरविंद कुमार, एडवोकेट सुमेर बराड़, एडवोकेट नितिन कांत सेतिया और एडवोकेट अर्जन बीर सिंह लिखारी ने इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड, 2016, आईपी की भूमिका, ग्रेजुएट इन्सॉल्वेंसी प्रोग्राम के लाभों के बारे में विस्तार से बताया। जैसा कि इस मामले के पेशेवर चार्टेड अकॉउंटेंट अरविंद कुमार ने कहा कि उभरते अधिवक्ताओं और अन्य पेशेवरों के लिए आने वाले समय में बड़ा पेशा बनने वाला है और स्नातक दिवाला कार्यक्रम (जीआईपी) युवा पीढ़ी के लिए इस पेशे में कदम रखने के लिए एक स्वागत योग्य कदम है।
ग्रेजुएट इन्सॉल्वेंसी प्रोग्राम (जीआईपी) उन लोगों के लिए अपनी तरह का पहला कार्यक्रम है, जो इनसॉल्वेंसी प्रोफेशनल के अनुशासन को करियर के रूप में लेने के इच्छुक हैं या भारत में और विदेशी क्षेत्राधिकार में मूल्य श्रृंखला में अन्य भूमिकाएँ निभाने की इच्छा रखते हैं। 24 महीने की अवधि वाले जीआईपी में 12 महीने के गहन कक्षा कार्यक्रम और 12 महीने के लिए अभ्यास के अत्याधुनिक कार्यक्रम में इंटर्नशिप कार्यक्रम शामिल हैं। जीआईपी पूरा करने वाला छात्र कोड के तहत इन्सॉल्वेंसी प्रोफेशनल के रूप में पंजीकरण के लिए पात्र होगा, इससे इस पेशे में आने वालों को वर्तमान की तरह10/15 वर्ष का इंतजार नहीं करना पड़ेगा।