-अमरपाल नूरपुरी
आस्ट्रेलिया के एडिलेड में खेले गए टी-20 क्रिकेट विश्व कप के दूसरे सेमिफाइनल में इंग्लैंड के हाथों भारतीय टीम को मिली शर्मनाक हार ने क्रिकेट प्रेमियों के अरमानो पर पानी फेर दिया है और चयन समिति एवं हेड कोच राहुल द्रविड़ को भी सवालों के कटघरे में ला खड़ा किया है। दस क्रिकेट से मिली इस करारी शिकस्त को किक्रेट प्रेमी और एक्सपर्ट पचा नहीं पा रहे हैं। उन्हें भारत की बॉलिंग पर चाहे भरोसा कम था, मगर इतनी बुरी तरह से टीम के हारने का अंदेशा भी नहीं था।
भारतीय टीम विश्व कप की शुरूआत से ही पॉवर प्ले में तेज गति से रन बनाने के लिए जूझ रही थी और इंग्लैंड जैसी मजबूत टीम के खिलाफ भी उनका यही रवैया रहा। पॉवर प्ले में खिलाड़ी मात्र 38 रन ही बना सके, जो उनकी बहुत बड़ी गलती थी। कप्तान रोहित शर्मा और के.एल राहुल पिछले काफी अर्से से अपनी खराब फार्म को लेकर संघर्ष कर रहे थे, पर टीम प्रबंधन व कोच के कानों पर जूं तक नहीं रेंगी और न ही उनके बैटिंग क्रम में बदलाव किया गया। शायद टीम की जीत से कहीं अधिक इन खिलाडिय़ों के हितों का ध्यान रखा गया था।
यदि देखा जाए तो इस पूरे विश्व कप में विराट कोहली ही एक मात्र खिलाड़ी था जिसने पूरी टीम का भार अपने मजबूत कंधों पर उठाए रखा और संकट मोचक बनकर सामने आया। कुछ मैचों में सूर्य कुमार यादव और हार्दिक पांडया ने उसका साथ दिया और बैटिंग के जलवे दिखाये।
कोच राहुल द्रविड़ और कप्तान रोहित शर्मा सही प्लेइंग इलेवन का चयन करने में भी नाकाम रहे। विकेट कीपर रिषभ पंत और दिनेश कार्तिक को लेकर भी वह सदैव असमंजस में रहे, जिसका खामियाजा टीम को भुगतना पड़ा। नतीजा यह हुआ कि न तो दिनेश कार्तिक फिनिशर की भूमिका ढंग से निभा सका और न ही रिषभ पंत के बल्ले से रन निकले।
अपनी फार्म से जूझ रहे रोहित शर्मा कप्तानी में भी खरे नहीं उतरे। स्पिनर अक्षर पटेल की कई मैचों में पिटाई होने के बावजूद युजवेंद्र चहल को खेलने का मौका नहीं दिया गया। पूरे विश्व कप में तमाशबीन बनकर वह दर्शक दीर्घा में आराम फरमाते रहे। टीम के सार्वधिक विकेट लेने वाले युवा तेज़ गेंदबाज अर्शदीप सिंह से भी रोहित शर्मा ने पूरे ओवर नही फिंकवाये और अन्य गेंदबाजों की धुनाई होते देखते रहे। यदि अर्शदीप को मौका मिलता तो वह एक-दो विकेट अवश्य निकाल लेते और भारत शर्मनाक हार से कुछ हद तक बच जाता। पूर्व भारतीय कप्तान सुनील गावस्कर ने भी टीम के कुछ खिलाडिय़ों को बाहर का रास्ता दिखाने का समर्थन किया है।
कुछ सीनियर खिलाडिय़ों की राय है कि भविष्य में टी-20 मैचों के लिए एक ऐसी टीम तैयार की जाए जिसमें युवा, ऊर्जावान एवं आक्रामक क्रिकेट खेलने वाले खिलाडिय़ों को अवसर दिया जाए। टीम के कोच के रूप में राहुल द्रविड़ जैसे शांत खिलाड़ी की जगह ए.बी. डिविलियर्स जैसे धाकड़ खिलाडिय़ों को मौका दिया जाए ,जो टीम में जोश भर सके और टीम को बुलंदी तक ले जा सके। इस मामले में क्रिकेट बोर्ड और टीम प्रबंधन को कुछ कड़े कदम उठाने होंगे वर्ना हमारी टीम सदैव की भांति भाई-भतीजावाद की सियासत में फंसी रहेगी और अपनी प्रतिभा का बेहतरीन प्रदर्शन नहीं कर पाएगी।