–न्यूज़ मिरर ब्यूरो
कहते है कि भगवान किसी को भूखा उठा तो सकते है लेकिन कभी किसी को भूखा सुलाते नहीं ,जिसके भाग्य में जो लिखा होता है वह उस तक पहुंच ही जाता है चाहे इंसान हो या बेजुबान| पत्थर में पलने वाले कीड़े तक भोजन उपलब्ध करवाने की व्यवस्था भगवान ने बाखूबी कर रखी है लेकिन आज फिर भी हमारे समाज के बीच लाखों हजारों लोग ऐसे है जो गरीबी की वजह या किसी बीमारी के चलते लाचार होने के कारण दो जून की रोटी को भी तरस जाते है…ऐसे लोगों की तरफ मदद का हाथ बढ़ाने के लिए हमेशा तत्पर रहते है व्यापारी सुभाष गर्ग जो एक समाज सेवी है लेकिन वे बिना किसी के सहयोग से बिना किसी से कोई पैसा इकट्ठा किए अपने सामर्थ्य के अनुसार उनकी गरीब गुरबों के पेट की आग बुझाने के लिए लंगर इत्यादि के आयोजन के अलावा कई तरह से उनकी मदद कर पुण्य के भागी बनते रहते है.क्योंकि उनके मुताबिक वेद , शास्त्र , गुरूजन , योगी , तपस्वी और ब्रहामण के कथन के अनुसार अन्न दान से बड़ा कोई दान नहीं और इस बात का महत्व समझते हुए समाज के लोगों को भी आगे आ अपने अपने सामर्थ्य के अनुसार गरीबों का दुख बांटते हुए कुछ न कुछ जरूर करना चाहिए ताकि वह लोग अपने आप को अकेला न समझे…इन्ही विचारों के साथ आज जीवन यापन करने वाले सुभाष गर्ग बस्तियों में जा गरीब बच्चों की सुध लेने की कवायद में भी अब जुट गए है…चाहे जरूरत उनके खान पान की हो या फिर इलाज की , उनके नजरिए में इससे बड़ी कोई सेवा नहीं और इससे बड़ा कोई पुणय नहीं |