–अमरपाल नूरपुरी
चंडीगढ़ 10 जनवरी
लंबी, घनी मूँछें आप के चेहरे को रौबादार ही नहीं बनाती बल्कि उसके व्यक्तित्व को प्रभावशाली बनाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है।इन मूँछों की वजह से ही इलाहाबाद के 58 वर्षीय राजेन्द्र कुमार तिवारीपूरे विश्व में चर्चा का विषय बन चुके हैं। उनकी मूँछें शास्त्रीय संगीतकी लय पर भी खूबसूरती से नृत्य करती हैं कि दर्शक आश्चर्य चकित रह जाते हैं।इन मूँछों की वजह से ही इलाहाबाद के 58 वर्षीय राजेन्द्र कुमार तिवारी पूरे विश्व में चर्चा का विषय बन चुके हैं। उनकी मूँछें शास्त्रीय संगीतकी लय पर भी खूबसूरती से नृत्य करती हैं कि दर्शक आश्चर्य चकित रह जातेहैं। हाल ही में प्रयागराज (इलाहाबाद) के दारागंज क्षेत्र में इस लेखक ने अनोखे मूँछ नर्तक राजेन्द्र कुमार तिवारी उर्फ दुकान जी से मिलने का अवसर मिला। बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि बचपन से ही उनके दिल में कुछ अनोखा कर गुजरने की तमन्ना थी। वह अपना नाम अखबारों की सुर्खियों में देखना चाहते थे।साधु, सन्तों के बीच भी उनका काफी उठना बैठना था। इसी दौरान एक औधड़ से उनकी मुलाकात हुई। उस अघोरी साधु से प्रभावित होकर यहसन् 1980 में उसके साथ हिमालय पर चले गये। लगभग 6 माह तक उनकी संगत में रहकर श्री तिवारी ने कुछ कठिन यौगिक क्रियाएँ सीखीं। एक दिन औघड़ बाबा ने
उन्हें घर वापस लौटने का आदेश दिया और कहा कि तुझे अभी बहुत काम करना है। पर ध्यान रहे, अपनी इन मूंछों को कभी मत कटवाना। यह मूंछें ही तुझे एक दिन विश्व में प्रसिद्धि दिलवायेंगी। उस दिन के बाद से आज तक राजेन्द्र तिवारी अपनी मूंछों का बहुत ध्यान रखते हैं।
इंटर तक पढ़े राजेन्द्र तिवारी इस मूंछ नृत्य कला के विश्व भर में एकमात्र कलाकार हैं। अपनी घनी मूंछों पर जलती हुई मोमबन्तियाँ बाँधकर जब वह चेहरे की मांसपेशियों को हरकत देते हुए अपना मूंछ नृत्य पेश करते हैं तो लोग दाँतों तले अंगुली दवा लेने पर मजबूर हो जाते हैं। वाद्य यन्त्रों की ताल पर ऐसा अनोखा मूंछ नृत्य लोगों में रोमांच पैदा कर देता है। राजेन्द्र तिवारी के अनुसार पहले वह फिल्मी धुनों पर मूंछ नृत्य प्रस्तुत करते थे मगर अब वह शास्त्रीय संगीत की लय पर अपनी मूछों से कत्थक, कुचीपुड़ी एवं मणिपुरी नृत्य करवाने में सक्षम हैं। तबले की थाप पर जब उनकी मूंछे नृत्य की मुद्रा में थिरकती हैं तो जैसे समां सा बंध जाता है। आश्चर्य की बात है कि राजेन्द कुमार तिवारी उर्फ दुकान जी अपनी इस मूंछ नृत्यकला के प्रति इतने अधिक समर्पित हैं कि कुछ अर्सा पूर्व उन्होंने अपने कुछ दांत इसलिए निकलवा दिये थे ताकि गाल की मांसपेशियाँ उनकी इच्छानुसार हरकत कर सकें।
राजेन्द्र तिवारी भारत के सभी प्रमुख नगरों में अपना कार्यक्रम पेश कर चुके हैं। विदेशों में भूटान, नेपाल, सिंगापुर तथा ताईवान का सफल दौरा करके वह स्वदेश लौटे हैं। सभी जगह लोगों ने उनकी मूँछ नृत्य कला की दिल खोलकर सराहना की है।
राजेन्द्र तिवारी का नाम ‘लिम्का बुक ऑफ रिकार्ड्स’ के सन 1994 संस्करण में और गिन्नीज़ बुक आऊ वल्र्ड रिकॉड्र्स के 1995 के संस्करण में दर्ज हो चुका है। यह उनके तथा देश के लिए गौरव की बात है। दुकान जी एक धारावाहिक जेलर की डायर में डाकू की भूमिका भी निभा चुके हैं। इसके अलावा सिरिलय प्रतिज्ञा, त्रिया चरित्र के अलावा कुछ फिल्मों में भी उन्होंने अभिनय किया है।
विश्व के इस अनौखे मूँछ नर्तक को मीडिया से पूरा प्रचार एवं सहयोग मिला है।उनकी इस मूँछ नृत्य कला को लखनऊ दूरदर्शन, मद्रास दूरदर्शन, जी.टी.वी. जैन टी,वी तथा दिल्ली दूरदर्शन के सुरभि कार्यक्रम में दिखाया जा चुका है। जो टी.वी के शाबास इंडिया, कलर्स के इंडियाज़ गोट टैलेंट व सोनी टी.वी पर भी अपनी उपस्थिति दर्ज करवा चुके हैं। राजेन्द्र तिवारी उर्फ दुकान जी हंसमुख स्वभाव के मिलनसार इंसान है। वह अविवाहित हैं और उनकी आर्थिक स्थिति भी सुदृढ़ नहीं है। उन्हें गिला है कि विश्व भर में उनकी कला को सराहा गया है परन्तु भारत सरकार ने उनके लिए कुछ भी नहीं किया और न ही कोई सुविधा प्रदान की। उत्तर प्रदेश सरकार भी उनके प्रति उदासीन है। दुकान जी के पास न रहने को मकान हैं और न ही आर्य का कोई साधन। लोगों के प्रेम और मान-सम्मान की वजह से राजेंद्र तिवारी उर्फ दुकान जी कठिनाईयों के अथाह सागर में गोते लगाते हुए किसी तरी अपनी जिंदगी की गाड़ी खींच रहे हैं। ईश्वर उन्हें शक्ति दे ताकि वह ताउम्र अपनी कला से लोगों का मनोरंजन करते रहें।
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